शिक्षण जाॅब नहीं, पुण्य का कार्य

जयपुर 13 सितम्बर। मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे ने कहा है कि शिक्षण जाॅब नहीं, एक पुण्य का कार्य है। समर्पित भाव से कार्य करने वाले शिक्षक ही बच्चों की जिंदगी बदलते हैं और उनके भविष्य को उज्जवल बनाते हैं। ऐसे शिक्षकों ही जीवन भर याद किया जाता है। मौजूदा परिस्थितियों में हमें ऐसे ही शिक्षकों की आवश्यकता है। वे शनिवार को राजस्थान विश्वविद्यालय के मानविकी पीठ सभागार में अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ द्वारा उच्च शिक्षा में नियामक तंत्र पर आयोजित राष्ट्रीय परिसंवाद के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित कर रही थीं।

उन्होंने कहा कि बिना शिक्षा के कोई भी देश या प्रदेश आगे नहीं बढ़ सकता। जहां अच्छी शिक्षा एवं अच्छे शिक्षण संस्थान है वो क्षेत्र काफी आगे बढ़ चुके हैं उन्हें किसी की सहायता व सहयोग की आवश्यकता नहीं है।

विश्वविद्यालयों में सैल्फ एम्प्लोयमेंट सेल
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के विश्वविद्यालयों में सैल्फ एम्प्लोयमेंट सेल स्थापित किये जा रहे हैं, ताकि युवाओं को स्किल डवलपमेंट के आधार पर रोजगार के बेहतर अवसर मिल सके। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में कम्यूनिकेशन, आर्किटेक्चर, ट्यूरिज्म, हाॅस्पीटेलिटी मैनजमेंट और विदेशी भाषाओं के कोर्सेज शुरू किये जायें, ताकि हमारे नौजवान दुनिया के सामने अपने आपको और अधिक बेहतर ढंग से पेश कर सके।

गुणात्मक सुधार के लिए रोडमैप बने
श्रीमती राजे ने कहा कि गुरूजन ही शिक्षा और शिक्षण व्यवस्था में बदलाव ला सकते हैं, सरकार तो सहयोग ही कर सकती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मौजूदा हालातों को ध्यान में रखकर शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाने के लिए एक रोडमैप तैयार किया जाना चाहिए और उसी के अनुरूप प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक अध्ययन-अध्यापन का कार्य किया जाये। इसके लिए समय-समय पर सेमिनार एवं गोष्ठियों का भी आयोजन किया जाना चाहिए। जिनमें शिक्षकों के साथ-साथ, शिक्षा तथा अन्य क्षेत्रों से जुडे़ विद्वान हिस्सा लें तथा अपने अनुभवों के आधार पर व्यावहारिक एवं उपयोगी सुझाव दें, ताकि उन पर हम अमल कर मौजूदा जरूरतों के अनुरूप शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव कर सके।

हमारे विद्यार्थी परिवर्तन का आगाज बने
मुख्यमंत्री ने अमेरिका एवं ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों का जिक्र करते हुए कहा कि वहां 70 प्रतिशत से अधिक निजी विश्वविद्यालय है जो प्रभावी प्रबंधन समिति द्वारा संचालित होते हैं। इन विश्वविद्यालयों में यह प्रतियोगिता रहती है कि उनके पढ़ाये बच्चे सबसे अच्छे निकले। ठीक यही सोच हमारी है। हम भी चाहते हैं कि हमारे विश्वविद्यालयों से निकलने वाले बच्चों का सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास हो और वे जिस क्षेत्र में भी जाये, वहां सफलता का इतिहास लिखे और परिवर्तन का आगाज बने।

शिक्षक में है समाज में बदलाव की क्षमता
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में ऐसे अच्छे शिक्षक-प्रशिक्षण संस्थानों की आवश्यकता है, जहां सभी विधाओं में परिपूर्ण समर्पित शिक्षक तैयार हो, जो शिक्षण संस्थाओं में जाकर नवाचारों के साथ विद्यार्थियों को तैयार कर सके। उन्होंने कहा कि शिक्षक में ही समाज में बदलाव लाने की क्षमता है। समाज को शिक्षकों से बहुत उम्मीद है, जिसे उन्हें पूरी करने का प्रयास करना चाहिए।

पांच साल में गिरा शिक्षा का स्तर
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार के पिछले कार्यकाल में प्रदेश में शिक्षा का स्तर बढ़ा था और राजस्थान को उत्कृष्टता पुरस्कार भी मिला था। लेकिन पिछले पांच साल में शिक्षा के स्तर पर में गिरावट आई है। सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में मैंने ऐसी स्कूलें भी देखी जहां बच्चों को पहाड़े भी नहीं आते हैं और न ही वे किताब पढ़ पा रहे हैं। इस व्यवस्था को हमें सुधारना होगा।

संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज मंत्री श्री गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि 65 सालों में हमारे देश के बच्चों में दुनिया में अपना डंका बजाया है और इन्हें तैयार करने वाले शिक्षक ही हंै। शिक्षकों की क्षमता का हमें पूरा उपयोग करना चाहिए।

कार्यक्रम में अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के अध्यक्ष डाॅ. विमल प्रसाद अग्रवाल, महासचिव प्रो. जगदीश प्रसाद सिंघल तथा उपाध्यक्ष प्रो. रमेशचंद्र सिन्हा ने इस संगोष्ठी के उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी। इस अवसर पर राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. देव स्वरूप सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, पूर्व कुलपति एवं शिक्षाविद उपस्थित थे।