समाज के स्वरूप का निर्धारण गुरुओं से होता है

मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई दी है।

मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा कि समाज को शिक्षित, संस्कारित और ऊर्जावान बनाने में गुरुजनों की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। समाज के स्वरूप का निर्धारण शिक्षक ही करता है।

श्रीमती राजे ने कहा कि हमारे यहां ईश्वर से पहले गुरु की पूजा की जाती है। शिक्षक ज्ञान और संस्कार के संवाहक होते हैं। कहा जाता है कि शिक्षक वह दीपक है जो स्वयं जलकर दूसरों को प्रकाश देता है।

मुख्यमंत्री ने युवाओं से अपील की है कि वे गुरुओं के प्रति श्रद्धाभाव और सम्मान बनाए रखें क्योंकि आज के युग में भी ज्ञान के विस्तार, विकास और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए गुरुओं का मार्गदर्शन आवश्यक है।

जयपुर, 30 जुलाई 2015

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