कल्याणकारी योजनाओं से सहरिया समुदाय को मिल रहा सम्बल

जयपुर, 19 सितम्बर। बारां जिले की सहरिया आदिम जनजाति के लोगों के कल्याण के लिये मुख्यमंत्री के रूप में श्रीमती वसुन्धरा राजे के पिछले कार्यकाल में विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं शुरू की गई थीं, जो आज भी इस समुदाय के लोगों का सम्बल बनी हुई हैं। वर्ष 2003 से 2008 के दौरान सहरिया जनजाति क्षेत्रों में मां-बाड़ी केन्द्रों की स्थापना, क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम, सहरिया समग्र विकास योजना, जनश्री बीमा योजना, निःशुल्क साइकिल वितरण योजना तथा कुपोषण निवारण केन्द्र खोले जाने सहित अनेक अहम कदम उठाये गये, जो सहरिया लोगों को निरन्तर राहत दे रहे हंै।

मां-बाड़ी केन्द्र (डे-केयर सेंटर):- बारां के सहरिया क्षेत्र में छात्र-छात्राओं को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने तथा शिक्षा व स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए वर्ष 2003 से 2008 के दौरान 180 नये मां-बाड़ी केन्द्र शुरू किये गये। इनमें 5 हजार 400 छात्र-छात्राओं को लाभान्वित किया गया। इन केन्द्रों पर सहरिया जनजाति के 6 से 12 वर्ष के बच्चों को प्राथमिक शिक्षा से जोड़ने के साथ ही अल्पाहार, मिड-डे-मिल व स्कूली ड्रेस उपलब्ध कराई जाती है। वर्तमान में 324 मां-बाड़ी केन्द्रों के माध्यम से 9 हजार 500 से ज्यादा बालक-बालिकाएं इस योजना से लाभान्वित हो रहे हैं।

क्षय रोग नियंत्रण:- क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम में स्थानीय महिलाओं को प्रशिक्षण देकर तपेदिक नियंत्रण में सहयोग के लिये 263 गांवों में सर्वे कराया गया। इसके लिये 180 स्वास्थ्यकर्मियों का चयन कर व्यक्तियों को उपचार के लिये प्रेरित किया गया। वर्ष 2007-08 में 4 हजार से ज्यादा रोगियों का उपचार किया गया। कार्यक्रम के तहत प्रत्येक क्षय रोगी को दवाइयों के अतिरिक्त 3 किलो सत्तू निःशुल्क दिया जाता है। ये स्वास्थ्यकर्मी कुपोषित बच्चों को उपचार के लिये भी प्रेरित कर रही हैं। स्वास्थ्यकर्मी तपेदिक नियंत्रण एवं स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देती है, वर्तमान में 391 व्यक्तियों का उपचार चल रहा है। शाहबाद व बारां में सहरिया बच्चों के लिये मई, 2006 में कुपोषण निवारण केन्द्रों की स्थापना भी की गई।

निःशुल्क आयोडीन नमक वितरणः- राज्य सरकार ने मार्च, 2005 में सहरिया परिवार को प्रतिमाह एक किलो आयोडीन युक्त नमक वितरण की योजना लागू की, इसके तहत जिले के 45 हजार 827 लोगों को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा था, यह योजना 2011-12 में बन्द कर दी गई।

सहरिया समग्र विकास योजनाः- किशनगंज एवं शाहबाद पंचायत समितियों में सहरिया परिवारों के आर्थिक उत्थान के लिये वर्ष 2004-05 में 100 लाख रुपये की योजना स्वीकृत की गईं। इसके जरिये सहरिया व्यक्तियों को जलग्रहण विकास, नाला उपचार, अनाज भण्डारण ड्रम, आवास निर्माण, डीजल पम्पसैट, कुआ गहरा कराने, नलकूप निर्माण जैसे कार्यों से जोड़कर आर्थिक सम्बल प्रदान किया गया।

जनश्री बीमा योजनाः- सहरिया परिवारों के बीमा के लिये मई, 2008 में जनश्री बीमा योजना शुरू की गई। इसमें परिवार के मुखिया की मृत्यु होने पर 30 हजार रुपए एवं पूर्णतः विकलांग होने पर 75 हजार रुपये की राशि उपलब्ध कराई जाती है। बीमित परिवारों के कक्षा 9 से 12 तक के बालक-बालिकाओं को 1200 रुपये की छात्रवृत्ति दी जाती है।

निःशुल्क साइकिल वितरण योजना:- शाहबाद एवं किशनगंज की सहरिया छात्राओं के सुगमता से विद्यालय आने-जाने के लिये निःशुल्क साइकिल वितरण योजना लागू की गई। इसके तहत कक्षा 9 से 12 की छात्राओं को 22 हजार से ज्यादा साइकिलें वितरित की गई है।

सहरिया परिवारों के लिए वर्ष 2003-08 में लिये गये अन्य महत्त्वपूर्ण निर्णय

  • कथौड़ी जनजाति एवं शाहबाद व किशनगंज के सहरिया परिवारों को 25 नवम्बर, 2004 से बीपीएल को राज्य सरकार द्वारा दी जा रही सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाने का निर्णय।
  •  जनजाति उपयोजना क्षेत्र में अनुसूचित जनजातियों को दी जा रही सभी सुविधाएं शाहबाद एवं किशनगंज के सहरिया क्षेत्र में भी 25 नवम्बर, 2004 से उपलब्ध करवाने का निर्णय।
  •  शाहबाद एवं किशनगंज के सहरिया युवक-युवतियों को 12 सितम्बर, 2007 से नौकरियों में 25 प्रतिशत आरक्षण के तहत स्केल 1 से 6 को बढ़ाकर वेतन स्केल 1 से 11 तक किया गया।
  •  एसटीसी/एनटीटी प्रशिक्षण में प्रवेश के लिये सत्र 2006-07 से बारां जिले में 25 प्रतिशत सीटें शाहबाद एवं किशनगंज के सहरिया अभ्यर्थियों के लिये आरक्षित की गई।
  •  जनजाति उपयोजना क्षेत्र के अभ्यर्थियों को राजस्थान प्री-मेडिकल टेस्ट (आरपीएमटी) में अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के लिये उपलब्ध कराई गई 12 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था के तहत 45 प्रतिशत सीटों को आरक्षित करने की व्यवस्था को यथावत रखा गया।
  •  अनुसूचित क्षेत्र में अजा परिवार जिनकी वार्षिक आय 2 लाख रुपये या उससे कम है, उनके बच्चों को आरएएस की तैयारी के लिये 30 हजार तथा साक्षात्कार के लिये 15 हजार की सहायता।
  •  जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग ने सितम्बर, 2005 में सहरिया विकास परियोजना के प्रशासनिक अधिकार सम्भागीय आयुक्त, कोटा को हस्तांतरित किये।
  •  सहरिया क्षेत्र के सभी प्राथमिक विद्यालयों में विश्व खाद्य कार्यक्रम के तहत कुपोषण दूर करने के लिये बिस्किट वितरण प्रारम्भ किया गया। किशनगंज में अगस्त, 2007 से सहरिया बालिकाओं के लिये आवासीय विद्यालय शुरू किया, इसमें कक्षा 6 व 7 की 102 छात्राओं को प्रवेश दिया गया।
  •  दूरस्थ स्थानों पर रहने वाले 788 सहरिया परिवारों के घरों में सोलर लाइट लगवाई गई।
  •  अनुसूचित क्षेत्र के विद्यालयों में 6 से 14 वर्ष के विद्यार्थियों के लिये सूक्ष्म पोषक तत्वों के वितरण की योजना प्रारम्भ की गई, जिससे 3.83 लाख बालक-बालिकाएं लाभान्वित हो रहे हैं।